पति के छोड़ने के बाद भी होसला रहा बुलंद है नगर निगम में की झाड़ू लगाने की नौकरी कर अब बनी एसडीए
धीर सिंह
जोधपुर:- जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली आशा कंडारा 2 बच्चों की मां है जो अपने बच्चों के लालन-पालन करने के लिए पति के छोड़ने के बाद नगर निगम में झाड़ू लगाने का काम कर रही थी लेकिन आशा कंडारा ने बताया कि उसके पति के साथ झगड़ा रहता था पति ने उसको छोड़ दिया था दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा देने एवं पालन पोषण करने के लिए नगर निगम में सफाई कर्मी के तौर पर नौकरी की I आशा कंडारा सबके चेहरे पर दुपट्टा बांध कर हाथों में झाड़ू लेकर जोधपुर की सड़कों पर सफाई करती थी शायद उसने भी नहीं सोचा था कि उसमें है एक दिन एसडीएम बनेगी नगर निगम जोधपुर में सफाई कर्मी के तौर पर कार्य करते हुए अस्थाई नियुक्ति नहीं हो पाई थी जिसे लेकर वह 2 वर्षों तक नगर निगम के खिलाफ लड़ाई लड़ी जब उसको स्थाई नौकरी मिली तो राजस्थान प्रशासनिक सेवा मैं आर एस दो हजार अट्ठारह मैं आशा का चयन एसडीएम के पद पर हो गया जिस प्रकार से उसने अपने जीवन में सफाई करते हुए अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई की झाड़ू लगाने के बाद वह सीढ़ियों पर बैठकर अपनी किताबें पढ़ती थी किताबों ने उसकी जिंदगी ही बदल दी आशा की जिंदगी इतनी आसान नहीं थी 8 साल पहले उसके पति ने झगड़ा कर उसको छोड़ दिया था जिसके बाद उसने अपने बच्चों के लालन-पालन के लिए सफाई कर्मी के रूप में वहां की सड़कों पर झाड़ू लगाया जैसे कि वह नगर निगम में स्थाई नियुक्ति पर तैनात हुई उसके पश्चात उसने नगर निगम के अधिकारियों को देखकर मन में ठान लिया कि एक रोज मुझे भी अधिकारी बनाना है अफसर बनने का सपना देख कर सिलेबस का पता किया और उसके लिए कठिन दिनचर्या के बीच उसने अपनी पढ़ाई पूरी की आशा नेहा ना तो के सामने कभी हार नहीं मानी अपनी स्कूटी में पढ़ने के लिए पुस्तक रखती थी जहां समय मिलता तो वहीं बैठकर वह पड़ने लगती थी आज उसके मन में खुशी एक जो सपनों से नहीं देखा था वह इन किताबों के बलबूते पर उसको मिल गया है आशा कंडारा अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती है जिसने अपने मुकाम को हासिल किया ऐसे महान व्यक्तित्व की कहानी से अपने जीवन में सीख सीखना चाहिए
