बीमार होकर दुखी: किसान इलाज के लिए अपना घर बेचने को हुआ मजबूर, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने नहीं सुनी किसान की पीड़ा, किसान ने राज्य सरकार से अपना गन्ने का भुगतान करने की कि मांग ,किसान संगठन का कोई भी नेता नही पहुंचा पिडित का दुःख बाटने किसान के घर I

बीमार होकर दुखी: किसान इलाज के लिए अपना घर बेचने को हुआ मजबूर, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने नहीं सुनी किसान की पीड़ा, किसान ने राज्य सरकार से अपना गन्ने का भुगतान करने की कि मांग ,किसान संगठन का कोई भी नेता नही पहुंचा पिडित का दुःख बाटने किसान के घर
धीरसिंह
रुडकी:-झबरेड़ा विधान सभा क्षेत्र के ग्राम तांशीपुर में किसान यशपाल त्यागी का कहना है की उसका पौत्र भयंकर बीमारी से ग्रस्त है जिसके इलाज कराने में अधिक पैसा खर्च करने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गईं उसी के कारण आज अपना घर बेचने को मजबूर है जबकि उत्तराखंड राज्य सरकार में पीड़ित किसान को शुगर मिल इकबालपुर से इलाज के लिए उनके गन्ने का भुगतान नहीं करा पाई I जिस पर बीमार किसान के भाई ने यहां से पलायन कर पड़ोसी राज्य में जाकर गुजर बसर करने की बात कही है पीड़ित किसान ने बताया कि जहां केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कह रही है वह किसानों के साथ धोखा है क्योंकि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के बजाए I किसानों का कृषि कार्ड पर लिए गए ऋण पर ब्याज बढ़ने के कारण बैंकों का कर्ज दोगुना किया जा रहा है वही राज्य सरकार/या प्रशासन का कोई नुमाइंदा किसान की क्या परेशानी है उनकी परेशानी को दूर करने के लिए उनके गन्ने के भुगतान नहीं करा पाये है I और न ही किसान हित की बात करने वाले किसान संगठन का एक भी व्यक्ति किसान का दुःख बाटने पीड़ित किसान के घर नही पहुंचा है ।बुजुर्ग किसान यशपाल त्यागी ने जानकारी देते हुए बताया कि मेरा पौत्र रजतवीर त्यागी पिछले दो माह से ट्यूमर जैसी भयंकर बीमारी से जूझ रहा है तथा दिल्ली के अपोलो अस्पताल में जिसका इलाज चल रहा है उन्होने बताया कि अपोलो अस्पताल में ऑपरेशन का बिल करीब 9लाख रु आया है जो हमने ,रिशतेदारो से लेकर जमा कराया है लेकिन आगे खर्च उठाने के लिये पैसे की कमी होने के कारण अब अपना घर बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है पीड़ित के भाई ने जानकारी देते हुए बताया कि इकबालपुर शुगर मिल पर उनका गन्ने का भुगतान वर्ष 2017-18 – 2018-19 का करीब साढ़े आठ लाख रु बकाया है उन्होंने बताया कि 4 वर्ष पहले बैंक से ₹500000 का कृषि कार्ड बनवा था जिसका प्रतिवर्ष ₹45000 बैंक को ब्याज देना पड़ रहा है यदि समय पर हमारा गन्ने का भुगतान हो जाता है तुम याद से भी मुक्ति मिलती है और हमारे ऊपर बैंक का कर्ज भी नहीं बढ़ता I पीडित किसान के भाई ने राज्य सरकार व प्रशासन से अपने छोटे भाई के इलाज के लिए पिछले वर्षों का गन्ना भुगतान दिलाने की गुहार लगाई I

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