खसुसी दुआओं के साथ तीन दिनों तक चले इज्तमे का हुआ समापन,इस्लाम की शिक्षाएं देती है सद्व्यवहार करने का हुक्म।मुफ्ती महमूद साहब।
23 दिसंबर 2024
uk samachar 24
रुड़की।गढ़ी संघीपुर मे तीन दिवसीय तबलीगी इज्तमे का समापन विशेष दुआओं के साथ हो गया।अमन-शांति,देश की खुशहाली और कौम की तरक्की की दुआओं के साथ में हुए इस तब्लीगी इज्तमे में गोंडा बस्ती से आए आलिमेदीन मुफ्ती महमूद साहब ने विशेष दुआ कराई।दुआ से पहले उन्होंने बयान करते हुए इस्लाम की शिक्षाओं व तबलीगी जमात के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला।उन्होंने तब्लीगी जमात को जगत सुधार की संज्ञा देते हुए कहा कि यह एक कार्य है।जिसके जरिए इंसान को अल्लाह के रास्ते में निकलने,परेशान लोगों की खिदमत करने और बुराइयों को छोड़ने का मौका मिलता है।मुफ्ती महमूद साहब ने कहा कि दीन के रास्ते पर चलकर ही हम दुनिया और आखिरत का भला कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि अल्लाह और नबी के बताए रास्ते से हटकर कभी कामयाबी नहीं मिल सकती।इस्लाम की शिक्षा हमें इंसान ही नहीं,बल्कि जानवरों के साथ भी सद्व्यवहार करने का हुक्म देती है।उन्होंने कहा कि दीन को छोड़ने की वजह से हमारी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है।आज इंसान का नजरिया बदल गया है।समाज में बुराइयां बढ़ गई है और इंसानों के अंदर लोभ,लालच और नशे जैसी बड़ी बुराइयां पनप रही हैं।देश-दुनिया में इज्तमे के जरिए इंसानियत और प्रेम का संदेश दिया जाता है,यह एक ऐसा चिराग है जो कभी नहीं बुझ सकता।पैगंबर हजरत मोहम्मद का दीन दुनिया में लाने का मकसद यही था कि इंसान को नरक वाली जिंदगी से बचाकर जन्नत की तरफ ले जाया जाए।बड़ी संख्या में इज्तमे में पहुंचे लोगों ने सवाब हासिल कर दीन और दुनिया की भलाई के लिए अपना अजम दोहराया।दुआ के बाद इज्तमे के समापन पर होने पर चार महीने और चालीस दिनों की काफी तादाद में तब्लीगी जमातें निकली,साथ ही दर्जनों निकाह भी हुए।आसपास के ग्रामीण वासियों द्वारा इज्तमे में शिरकत करने आए लोगों की खिदमत के लिए जगह-जगह भोजन,फल एवं पेयजल की व्यवस्था की गई थी।